पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांगड़ा के पौंग डैम विस्थापितों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पौंग डैम विस्थापितों के शीघ्र पुनर्वास के लिए जलशक्ति मंत्रालय, गृह मंत्रालय के नेतृत्व में एक इंटर-मिनिस्ट्रियल, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सरकारों के बीच समिति का गठन होना चाहिए।
पौंग विस्थापितों पुनर्वास के लिए किए जाएं साझा प्रयास
सांसद अनुराग ठाकुर ने बताया कि ब्यास नदी पर बने पौंग डैम के कारण विस्थापित हुए परिवार पिछले पाँच दशकों से न्याय और पुनर्वास की राह देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि विस्थापन 50 साल पहले हुआ, लेकिन पुनर्वास से जुड़े कई वादे अब भी पूरे नहीं हुए हैं। इस विषय पर केंद्र सरकार से गंभीर हस्तक्षेप और राहत–पुनर्वास उपायों को तेज़ी से लागू करने की मांग की गई।
संसद में विस्थापितों की पीड़ा साझा करते हुए सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, मैं देवभूमि हिमाचल से आता हूँ, आज से 50 साल पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा हिमाचल के कांगड़ा में पौंग डैम बनाने के लिए 339 गाँवों के 20,772 परिवारों के विस्थापितों को राजस्थान में ज़मीन के आवंटन का वायदा अभी भी अधूरा है।
परिवार पोंग डैम प्रोजेक्ट के बाद बेघर हो गए थे। उन्हें 1970 के मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग और राजस्थान कॉलोनाइजेशन रूल्स 1972 के तहत राजस्थान के इरिगेटेड कमांड एरिया में रिहैबिलिटेशन का वादा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के कई दखल (1996 के फैसले सहित) और दिसंबर 2024 की इंस्पेक्शन रिपोर्ट के बावजूद पौंग डैम के विस्थापितों का पुनर्वास अधूरा है और 6,700 से अधिक परिवार अभी भी जमीन अलॉटमेंट का इंतजार कर रहे हैं, जबकि कई दूसरे लोग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, जमीन पर कब्जे और प्रोसेस से जुड़ी रुकावटों का सामना कर रहे हैं।